ग़ुफ़रान अमजद
ग़ज़ल 7
नज़्म 1
अशआर 3
कोई जुगनू कोई तारा कोई सूरज कोई चाँद
और अजब बात कि महरूम-ए-उजाला सब हैं
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कब से बंजर थी नज़र ख़्वाब तो आया
शुक्र है दश्त में सैलाब तो आया
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नवाह-ए-लफ़्ज़-ओ-मआनी में गूँज है किस की
कोई बताए ये 'अमजद' कि हम बताएँगे
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