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ग़ुफ़रान अमजद

1959 | बैंगलोर, भारत

ग़ुफ़रान अमजद

ग़ज़ल 7

नज़्म 1

 

अशआर 3

कब से बंजर थी नज़र ख़्वाब तो आया

शुक्र है दश्त में सैलाब तो आया

कोई जुगनू कोई तारा कोई सूरज कोई चाँद

और अजब बात कि महरूम-ए-उजाला सब हैं

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नवाह-ए-लफ़्ज़-ओ-मआनी में गूँज है किस की

कोई बताए ये 'अमजद' कि हम बताएँगे

 

पुस्तकें 1

 

ऑडियो 3

अजब था ज़ोम कि बज़्म-ए-अज़ा सजाएँगे

कब से बंजर थी नज़र ख़्वाब तो आया

अभी आइना मुज़्महिल है

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