ग़ुलाम अहमद फ़रीद के शेर
कुछ तुझ को ख़बर है कि नहीं हो के दो टुकड़े
मह आप बना है तिरे तौसन की रिकाबें
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere