ग़ुलाम मुर्तज़ा कैफ़ काकोरी के शेर
तड़प जाता हूँ जब बिजली चमकती देख लेता हूँ
कि इस से मिलता-जुलता सा किसी का मुस्कुराना है
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टैग : बिजली
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