ग़ुलाम नबी हकीम के शेर
तिरी हस्ती से क़ाएम है ये हस्ती
ये हस्ती ख़ुद कोई हस्ती नहीं है
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ज़िंदगी इश्क़-ओ-मोहब्बत से जवाँ होती है
वर्ना बे-कैफ़ सी बे-ताब-ओ-तवाँ होती है
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