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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हबीब अमरोहवी

अशआर 2

बेहतर दिनों की आस लगाते हुए 'हबीब'

हम बेहतरीन दिन भी गँवाते चले गए

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क्यूँ मुझ को नज़्र-ए-आतिश-ए-एहसास कर दिया

क्यूँ जान डाल कर मिरी मिट्टी ख़राब की

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चित्र शायरी 2

 

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