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हबीब वली मोहम्मद

1941 | पाकिस्तान

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हबीब वली मोहम्मद

हबीब वली मोहम्मद

mohobbat me.n zabaan ko main

हबीब वली मोहम्मद

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं

हबीब वली मोहम्मद

क्या कह गई किसी की नज़र कुछ न पूछिए

हबीब वली मोहम्मद

देर लगी आने में तुम को शुक्र है फिर भी आए तो

हबीब वली मोहम्मद

दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के

हबीब वली मोहम्मद

नहीं इश्क़ में इस का तो रंज हमें कि क़रार ओ शकेब ज़रा न रहा

हबीब वली मोहम्मद

मरने की दुआएँ क्यूँ माँगूँ जीने की तमन्ना कौन करे

हबीब वली मोहम्मद

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो

हबीब वली मोहम्मद

राह-ए-तलब में कौन किसी का अपने भी बेगाने हैं

हबीब वली मोहम्मद

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में

हबीब वली मोहम्मद

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में

हबीब वली मोहम्मद

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले

हबीब वली मोहम्मद

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें

हबीब वली मोहम्मद

आशियाँ जल गया गुल्सिताँ लुट गया हम क़फ़स से निकल कर किधर जाएँगे

हबीब वली मोहम्मद

आशियाँ जल गया, गुल्सिताँ लुट गया, हम क़फ़स से निकल कर किधर जाएँगे

हबीब वली मोहम्मद

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

हबीब वली मोहम्मद

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं

हबीब वली मोहम्मद

कब मेरा नशेमन अहल-ए-चमन गुलशन में गवारा करते हैं

हबीब वली मोहम्मद

क्या कह गई किसी की नज़र कुछ न पूछिए

हबीब वली मोहम्मद

गए दिनों का सुराग़ ले कर किधर से आया किधर गया वो

हबीब वली मोहम्मद

चाँद निकले किसी जानिब तिरी ज़ेबाई का

हबीब वली मोहम्मद

तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ जाते

हबीब वली मोहम्मद

न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ

हबीब वली मोहम्मद

नियाज़ ओ नाज़ के झगड़े मिटाए जाते हैं

हबीब वली मोहम्मद

मोहब्बत में ज़बाँ को मैं नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ कर लूँ

हबीब वली मोहम्मद

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता

हबीब वली मोहम्मद

या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता

हबीब वली मोहम्मद

रंग पैराहन का ख़ुशबू ज़ुल्फ़ लहराने का नाम

हबीब वली मोहम्मद

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ

हबीब वली मोहम्मद

राह-ए-तलब में कौन किसी का अपने भी बेगाने हैं

हबीब वली मोहम्मद

शमशीर-ए-बरहना माँग ग़ज़ब बालों की महक फिर वैसी ही

हबीब वली मोहम्मद

हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं

हबीब वली मोहम्मद

हस्ती अपनी हबाब की सी है

हबीब वली मोहम्मद

तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है

हबीब वली मोहम्मद

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