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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हम्माद हसन

अशआर 8

यहाँ हम बैठ कर चाय के इक कप को तरसते हैं

वहाँ सब ले के बिस्कुट केक के अम्बार बैठे हैं

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इस की हर एक बात मैं चुपके से मान लेता हूँ

जिस को हो जान दिल अज़ीज़ उस के ख़िलाफ़ जाए क्यूँ

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शब बीती चाँद भी डूब चला अब पाँव दबाना बंद करो

उट्ठो जल्दी आटा गूंधो तुम्हें नाश्ता नहीं बनाना क्या

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दहल जाते हैं बीवी की गरज से

बस अब कुछ ऐसी हालत हो गई है

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बीवी की ज़बान-दराज़ी से झुँझलाते हो घबराते हो

जब शादी कर ही बैठे हो तो फिर अब शोर मचाना क्या

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हास्य 17

पुस्तकें 1

 

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