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हरी चंद अख़्तर

1900 - 1958 | लाहौर, पाकिस्तान

प्रतिष्ठित पत्रकार और शायर

प्रतिष्ठित पत्रकार और शायर

हरी चंद अख़्तर

ग़ज़ल 26

अशआर 21

हमें भी पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी

हमारे दोस्तों के बेवफ़ा होने का वक़्त आया

जिन्हें हासिल है तेरा क़ुर्ब ख़ुश-क़िस्मत सही लेकिन

तेरी हसरत लिए मर जाने वाले और होते हैं

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अब आप गए हैं तो आता नहीं है याद

वर्ना हमें कुछ आप से कहना ज़रूर था

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अगर तेरी ख़ुशी है तेरे बंदों की मसर्रत में

तो मेरे ख़ुदा तेरी ख़ुशी से कुछ नहीं होता

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मिलेगी शैख़ को जन्नत हमें दोज़ख़ अता होगा

बस इतनी बात है जिस बात पर महशर बपा होगा

हास्य शायरी 1

 

क़िस्सा 14

तंज़-ओ-मज़ाह 1

 

पुस्तकें 3

 

चित्र शायरी 1

 

वीडियो 4

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Vocal Title: Kis Ne Zarron Ko Uthaya کس نے ذروں کو اٹھایا Lyrics: Pandit Harichand Akhtar

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मिलेगी शैख़ को जन्नत, हमें दोज़ख़ अता होगा

राहील फ़ारूक़

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