अगर तेरी ख़ुशी है तेरे बंदों की मसर्रत में
तो ऐ मेरे ख़ुदा तेरी ख़ुशी से कुछ नहीं होता
पंडित हरिचंद अख़्तर एक शायर, पत्रकार और आलोचक के हैसियत से प्रसिद्ध हैं. उन्होंने शायरी में विषय और शैली के कई रंगों का प्रयोग किया. उनके यहाँ गम्भीर वैचारिक विषय भी हैं और हल्के-फुल्के हास्य-व्यंग्य के विषय भी. हरिचंद अख़्तर की मिज़हिया शायरी तो इतनी लोकप्रिय हुई कि लोग उन्हें सिर्फ़ एक हास्य शायर के रूप में देखने लगे. कई हास्य कलाकारों ने उनकी ग़ज़लों और नज़्मों को अपनी परफॉर्मेंस में शामिल किया.
हरिचंद अख़्तर 15 अप्रैल 1900 को साहिबा गाँव ज़िला होशियारपुर में पैदा हुए. हफ़ीज़ जालंधरी से कलाम की त्रुटियों को ठीक कराया. आल इंडिया रेडियो से सम्बद्ध रहे. विभाजन के बाद हिन्दुस्तान आगये. एक जनवरी 1958 को दिल्ली में देहांत हुआ.