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हसन अब्बासी

1971 | पाकिस्तान

हसन अब्बासी

ग़ज़ल 15

अशआर 10

उस अजनबी से हाथ मिलाने के वास्ते

महफ़िल में सब से हाथ मिलाना पड़ा मुझे

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हसीन यादों के चाँद को अलविदा'अ कह कर

मैं अपने घर के अँधेरे कमरों में लौट आया

मोहब्बत में कठिन रस्ते बहुत आसान लगते थे

पहाड़ों पर सुहुलत से चढ़ा करते थे हम दोनों

मुझ को मालूम था इक रोज़ चला जाएगा!

वो मिरी उम्र को यादों के हवाले कर के

कभी जो आँखों के गया आफ़्ताब आगे

तिरे तसव्वुर में हम ने कर ली किताब आगे

पुस्तकें 2

 

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