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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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हसन बरेलवी

1859 - 1908 | बरेली, भारत

मौलाना अहमद रज़ा ख़ान के भाई, दाग़ देहलवी के शिष्य

मौलाना अहमद रज़ा ख़ान के भाई, दाग़ देहलवी के शिष्य

हसन बरेलवी

ग़ज़ल 21

अशआर 19

एक कह कर जिस ने सुननी हो हज़ारों बातें

वो कहे उन से मुझे आप से कुछ कहना है

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क्या कहूँ क्या है मेरे दिल की ख़ुशी

तुम चले जाओगे ख़फ़ा हो कर

देख आओ मरीज़-ए-फ़ुर्क़त को

रस्म-ए-दुनिया भी है सवाब भी है

दिल को जानाँ से 'हसन' समझा-बुझा के लाए थे

दिल हमें समझा-बुझा कर सू-ए-जानाँ ले चला

शीशा उठा कर ताक़ से हम ने

ताक़ पे रख दी साक़ी तौबा

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नअत 1

 

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