Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Hasan Naim's Photo'

हसन नईम

1927 - 1991 | पटना, भारत

शायरी में क्लासिकी शुऊर और जदीद इंक़िलाबी विचारों का ख़ूबसूरत संगम, नए समय की समस्याओं और उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति का प्रतिबिंब

शायरी में क्लासिकी शुऊर और जदीद इंक़िलाबी विचारों का ख़ूबसूरत संगम, नए समय की समस्याओं और उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति का प्रतिबिंब

हसन नईम

ग़ज़ल 56

नज़्म 5

 

अशआर 29

इतना रोया हूँ ग़म-ए-दोस्त ज़रा सा हँस कर

मुस्कुराते हुए लम्हात से जी डरता है

सबा मैं भी था आशुफ़्ता-सरों में यकता

पूछना दिल्ली की गलियों से मिरा नाम कभी

कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे

हर ज़माने में शहादत के यही अस्बाब थे

किसी ने डूबती सुब्हों तड़पती शामों को

ग़ज़ल के जाम में शब का ख़ुमार भेजा है

ग़म से बिखरा पाएमाल हुआ

मैं तो ग़म से ही बे-मिसाल हुआ

पुस्तकें 6

 

ऑडियो 19

उम्मीद ओ यास ने क्या क्या न गुल खिलाए हैं

कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थे

किसे बताऊँ कि वहशत का फ़ाएदा क्या है

Recitation

"पटना" के और शायर

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

Get Tickets
बोलिए