हसन शाहनवाज़ ज़ैदी
ग़ज़ल 20
नज़्म 7
अशआर 8
चेहरों को पैरों से कुचल कर आगे बढ़ जाना
जीत इसी को कहते हैं तो फिर मैं हार गया
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere