हस्तीमल हस्ती
ग़ज़ल 10
अशआर 15
बैठते जब हैं खिलौने वो बनाने के लिए
उन से बन जाते हैं हथियार ये क़िस्सा क्या है
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वो जो क़िस्से में था शामिल वही कहता है मुझे
मुझ को मालूम नहीं यार ये क़िस्सा क्या है
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शायरी है सरमाया ख़ुश-नसीब लोगों का
बाँस की हर इक टहनी बाँसुरी नहीं होती
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