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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हज़ीं सिद्दीक़ी

1922 - 1955 | मुल्तान, पाकिस्तान

हज़ीं सिद्दीक़ी

अशआर 1

फिर इशारों से बुलाते हैं वो अपनी जानिब

और जो ये भी निगह-ए-शौक़ का धोका निकला

 

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