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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हीरानंद सोज़

1922 - 2002 | फरीदाबाद, भारत

हीरानंद सोज़ के शेर

अपने घरों के कर दिए आँगन लहू लहू

हर शख़्स मेरे शहर का क़ाबील हो गया

अजीब हाल था अहद-ए-शबाब में दिल का

मुझे गुनाह भी कार-ए-सवाब लगता था

जनाज़े वालो चुपके क़दम बढ़ाए चलो

उसी का कूचे है टुक करते हाए हाए चलो

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