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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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पाकिस्तान की अहम शायरात में शामिल

पाकिस्तान की अहम शायरात में शामिल

हुमैरा रहमान

ग़ज़ल 41

नज़्म 2

 

अशआर 9

वो लम्हा जब मिरे बच्चे ने माँ पुकारा मुझे

मैं एक शाख़ से कितना घना दरख़्त हुई

रौशन-दान से धूप का टुकड़ा कर मेरे पास गिरा

और फिर सूरज ने कोशिश की मुझ से आँख मिलाने की

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हम और तुम जो बदल गए तो इतनी हैरत क्या

अक्स बदलते रहते हैं आईनों की ख़ातिर

लोगो! हम परदेसी हो कर जाने क्या क्या खो बैठे

अपने कूचे भी लगते हैं बेगाने बेगाने से

कंकर फेंक रहे हैं ये अंदाज़ा करने को

ठहरा पानी कितनी 'हुमैरा' हलचल रखता है

पुस्तकें 3

 

ऑडियो 4

इन लफ़्ज़ों में ख़ुद को ढूँडूँगी मैं भी

ज़रा सी बात पर नाराज़ होना रंजिशें करना

तबीअत इन दिनों औहाम की उन मंज़िलों पर है

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