इब्न-ए-सफ़ी
अशआर 11
चाँद का हुस्न भी ज़मीन से है
चाँद पर चाँदनी नहीं होती
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
लिखने को लिख रहे हैं ग़ज़ब की कहानियाँ
लिक्खी न जा सकी मगर अपनी ही दास्ताँ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
हुस्न बना जब बहती गंगा
इश्क़ हुआ काग़ज़ की नाव
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ज़मीन की कोख ही ज़ख़्मी नहीं अंधेरों से
है आसमाँ के भी सीने पे आफ़्ताब का ज़ख़्म
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
दिल सा खिलौना हाथ आया है
खेलो तोड़ो जी बहलाओ
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ग़ज़ल 9
नज़्म 1
चित्र शायरी 2
वीडियो 3
This video is playing from YouTube