इफ़्तिख़ार हुसैन मुज़्तर ख़ैराबादी के शेर
उठे उठ कर चले चल कर रुके रुक कर कहा होगा
मैं क्यूँ जाऊँ बहुत हैं उन की हालत देखने वाले
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere