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Iftikhar Raghib's Photo'

इफ़्तिख़ार राग़िब

1973 | क़तर

इफ़्तिख़ार राग़िब

ग़ज़ल 36

अशआर 21

क्या बताऊँ कि कितनी शिद्दत से

तुम से मिलने को चाहता है जी

क्या बताऊँ दिल में किस की याद का

एक काँटा चुभ रहा है मुस्तक़िल

तुम ने रस्मन मुझे सलाम किया

लोग क्या क्या गुमान कर बैठे

दिन में आने लगे हैं ख़्वाब मुझे

उस ने भेजा है इक गुलाब मुझे

राय उस पर मत करो क़ाएम कोई

जानते जिस को नहीं नज़दीक से

लेख 1

 

पुस्तकें 5

 

वीडियो 12

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
andaaz-e-sitam un kaa nihaayat hii alag hai

इफ़्तिख़ार राग़िब

Chaahaton ka silsila hai mustaqil

इफ़्तिख़ार राग़िब

vo kahte hai.n ki aa.nkho.n me.n mirii tasviir kis kii hai

इफ़्तिख़ार राग़िब

इक बड़ी जंग लड़ रहा हूँ

इफ़्तिख़ार राग़िब

इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो

इफ़्तिख़ार राग़िब

चश्म-ए-तर को ज़बान कर बैठे

इफ़्तिख़ार राग़िब

छोड़ा न मुझे दिल ने मिरी जान कहीं का

इफ़्तिख़ार राग़िब

जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़

इफ़्तिख़ार राग़िब

तक़दीर-ए-वफ़ा का फूट जाना

इफ़्तिख़ार राग़िब

फिर उठाया जाऊँगा मिट्टी में मिल जाने के बाद

इफ़्तिख़ार राग़िब

मुज़्तरिब आप के बिना है जी

इफ़्तिख़ार राग़िब

हो चराग़-ए-इल्म रौशन ठीक से

इफ़्तिख़ार राग़िब

ऑडियो 12

अंदाज़-ए-सितम उन का निहायत ही अलग है

इक बड़ी जंग लड़ रहा हूँ

इंकार ही कर दीजिए इक़रार नहीं तो

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