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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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इमाम बख़्श नासिख़

1772 - 1838 | लखनऊ, भारत

लखनऊ के मुम्ताज़ और नई राह बनाने वाले शायर/मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन

लखनऊ के मुम्ताज़ और नई राह बनाने वाले शायर/मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन

इमाम बख़्श नासिख़ के ऑडियो

ग़ज़ल

चैन दुनिया में ज़मीं से ता-फ़लक दम भर नहीं

फ़सीह अकमल

ज़ोर है गर्मी-ए-बाज़ार तिरे कूचे में

फ़सीह अकमल

सनम कूचा तिरा है और मैं हूँ

फ़सीह अकमल

सब हमारे लिए ज़ंजीर लिए फिरते हैं

फ़सीह अकमल

हैं अश्क मिरी आँखों में क़ुल्ज़ुम से ज़ियादा

फ़सीह अकमल

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