ईमान क़ैसरानी
ग़ज़ल 13
नज़्म 2
अशआर 1
दिल तो पहले ही जुदा थे यहाँ बस्ती वालो
क्या क़यामत है कि अब हाथ मिलाने से गए
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere