इमरान आमी
ग़ज़ल 13
अशआर 3
इस लिए सब से अलग है मिरी ख़ुशबू 'आमी'
मुश्क-ए-मज़दूर पसीने में लिए फिरता हूँ
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हमारे ख़ून से लुथड़े हुए हैं हाथ उस के
हमारे साथ मोहब्बत भी है ज़माने को
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हमारे ख़्वाब सलामत रहें तुम्हारे साथ
ये बात काफ़ी है दुनिया की नींद उड़ाने को
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