इंतिख़ाब सय्यद के शेर
लोग न जाने कैसी कैसी बातें करते हैं
मेरे पास तो मेरा साया लेटा है चुप-चाप
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अपने बदन को छोड़ के पछताओगे मियाँ
बाहर हवा है तेज़ बिखर जाओगे मियाँ
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