पता कैसे चले दुनिया को क़स्र-ए-दिल के जलने का इक़बाल साजिद
रुख़-ए-रौशन का रौशन एक पहलू भी नहीं निकला इक़बाल साजिद
सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा इक़बाल साजिद
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