इश्तियाक़ क़ुरैशी के शेर
मैं बज़्म में तेरी हूँ न होने के बराबर
इस पर भी तिरे ख़ातिर-ए-नाज़ुक पे गिराँ हूँ
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere