इस्मा हादिया
ग़ज़ल 13
अशआर 1
पलकों पे ग़म-ए-हिज्र के सब दीप जलाए
नींदों के शबिस्तान में भारी मिरी आँखें
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere