इस्मतुल्लाह इस्मत बेग के शेर
बाज़ ऐसे हैं चुरा लेते हैं मज़मूँ शे'र के
और कह लेते हैं अपना शे'र डाका डाल कर
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योरोपी रंग इस क़दर छाया तबीअ'त पर मिरी
पहले तो 'इस्मत' था मैं अब गोल्ड-इस्मिथ हो गया
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हर जगह चोरी का चर्चा हर जगह है लूट-मार
दिन-दहाड़े लुट रहा है हर तरफ़ फ़र्द-ए-बशर
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जो सफ़ाया क़ौम का कर दे वही लीडर है आज
हो सफ़ाई हाथ में जिस के वो है अहल-ए-हुनर
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