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इज़हार मलीहाबादी

इज़हार मलीहाबादी

नज़्म 8

अशआर 12

सुबू-ए-फ़लसफ़ा-ए-इश्क़-ओ-कहकशान-ए-हयात

शुआ-ए-क़हर-ए-तबस्सुम, चराग़-ए-दीदा-ए-नम

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ज़बाँ से शे'र की तारीफ़ हो नहीं सकती

कि एक ज़र्रे से अब तक है अक़्ल ना-महरम

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जहाँ है शे'र चराग़-ए-जुनूँ जलाए हुए

वहाँ खड़ी है ख़िरद अपना सर झुकाए हुए

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शराब-ए-हुस्न-ओ-मोहब्बत फ़शुर्दा-ए-अंजुम

अनीस-ए-शाम-ओ-सहर हमदम-ए-वजूद-ओ-अदम

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ख़ुमार-ए-दीदा-ए-अंजुम शराब-ए-लैल-ओ-नहार

हिकायत-ए-न-शुनीदा निगार-ए-ना-महरम

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