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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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जगन्नाथ आज़ाद

1918 - 2004 | दिल्ली, भारत

महत्वपूर्ण उर्दू स्कालर और शायर , पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगान लिखा

महत्वपूर्ण उर्दू स्कालर और शायर , पाकिस्तान का पहला राष्ट्रगान लिखा

जगन्नाथ आज़ाद

अशआर 17

किनारे ही से तूफ़ाँ का तमाशा देखने वाले

किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता

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इब्तिदा ये थी कि मैं था और दा'वा इल्म का

इंतिहा ये है कि इस दा'वे पे शरमाया बहुत

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नींद क्या है ज़रा सी देर की मौत

मौत क्या क्या है तमाम उम्र की नींद

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सुकून-ए-दिल जहान-ए-बेश-ओ-कम में ढूँडने वाले

यहाँ हर चीज़ मिलती है सुकून-ए-दिल नहीं मिलता

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हम ने बुरा भला ही सही काम तो किया

तुम को तो ए'तिराज़ ही करने का शौक़ था

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ग़ज़ल 23

नज़्म 16

क़िस्सा 5

 

नअत 1

 

पुस्तकें 159

चित्र शायरी 2

 

वीडियो 9

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

जगन्नाथ आज़ाद

जगन्नाथ आज़ाद

जगन्नाथ आज़ाद

जगन्नाथ आज़ाद

जगन्नाथ आज़ाद

At a mushaira

जगन्नाथ आज़ाद

Phir bhi kam tha gar che teiri zaat se paaya bahot

जगन्नाथ आज़ाद

Prof. Jagan Nath Azad at a mushaira

जगन्नाथ आज़ाद

Teri bazm-e-tarb meni soz-e-pirhaan

जगन्नाथ आज़ाद

ऑडियो 6

इतना भी शोर तू न ग़म-ए-सीना चाक कर

कब इस में शक मुझे है जो लज़्ज़त है क़ाल में

ख़याल-ए-यार जब आता है बेताबाना आता है

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