जलील हश्मी के शेर
तेरी सूरत पर गुमान-ए-दश्त-ओ-सहरा हाए हाए
तेरे क़दमों में बहारें ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी
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सीख लिया जीना मैं ने
इतना ज़हर पिया मैं ने
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दीवारों की बस्ती में
दरवाज़ा लिक्खा मैं ने
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