जलील क़िदवई
ग़ज़ल 18
नज़्म 8
अशआर 2
लपका है ये इक उम्र का जाएगा न हरगिज़
इस गुल से तबीअत न भरेगी न भरी है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere