जलील क़िदवई के शेर
लपका है ये इक उम्र का जाएगा न हरगिज़
इस गुल से तबीअत न भरेगी न भरी है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
पयाम्बर से ये कहला दिया कि बेहतर था
नियाज़-ओ-नाज़ की बातें थीं रू-ब-रू करते
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड