जमाल ओवैसी के शेर
गुरेज़-पा है नया रास्ता किधर जाएँ
चलो कि लौट के हम अपने अपने घर जाएँ
-
टैग : घर
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मौत बर-हक़ है एक दिन लेकिन
नींद रातों को ख़ूब आती है
जो माँग रहे हो वो मिरे बस में नहीं है
दरख़्वास्त तुम्हारी है ज़रूरत से ज़ियादा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
घर के सब दरवाज़े क्यूँ दीवार हुए हैं
घर से बाहर दुनिया सारी चीख़ रही है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
तन्हाई मिली मुझ को ज़रूरत से ज़ियादा
पढ़ती हैं किताबें मुझे वहशत से ज़ियादा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड