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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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जौहर मीर

1936 - 2004 | पाकिस्तान

जौहर मीर

ग़ज़ल 3

 

अशआर 2

कोई मौसम भी सज़ा-वार-ए-मोहब्बत नहीं अब

ज़र्द पत्तों को हवाओं से शिकायत नहीं अब

हम जहाँ रहते हैं वो दश्त वो घर

दश्त लगते हैं घर लगते हैं

 

पुस्तकें 2

 

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