aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1957 | रामपुर, भारत
एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है
इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता
चाँद का क़ुर्ब लगा कैसा चलो पूछ आएँ
आसमानों के सफ़र से वो पलट आया है
देखना छोड़े नहीं ख़्वाब मिरी आँखों ने
पूरा हर-चंद कोई ख़्वाब नहीं हो पाया
बे-साया न हो जाए कहीं घर मिरा यारब
कुछ दिन से मैं झुकता ये शजर देख रहा हूँ
मुझ को ये मोहतात इख़्लास-ए-नज़र अच्छा लगा
उस की दुज़्दीदा निगाहों का सफ़र अच्छा लगा
Jeene Ki Aas Mein
2018
ख़्वाब अासमानों के
2014
Kulliyat-e-Josh
Volume-002
Volume-001
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2015
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2003
एक चेहरा है जो आँखों में बसा रहता है इक तसव्वुर है जो तन्हा नहीं होने देता
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