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जावेद शाहीन

1922 - 2008 | लाहौर, पाकिस्तान

जावेद शाहीन के ऑडियो

ग़ज़ल

अजनबी बूद-ओ-बाश के क़ुर्ब-ओ-जवार में मिला

नोमान शौक़

'अजब सी कोई बे-यक़ीं रात थी

नोमान शौक़

इक जगह हूँ फिर वहाँ इक याद रह जाने के बाद

नोमान शौक़

किस तरह बे-मौज और ख़ाली रवानी से हुआ

नोमान शौक़

ख़तरा सा कहीं मिरी इकाई के लिए है

नोमान शौक़

चढ़ा पानी ज़रा तू अपने धारे से निकल आया

नोमान शौक़

धूल से जब मैं अट जाता हूँ

नोमान शौक़

नया ख़याल कभी यूँ दिमाग़ में आया

नोमान शौक़

पानी का अजब तौर था पानी से निकल कर

नोमान शौक़

मैं कि तन्हा ए'तिबार-ए-ज़ात खोने से हुआ

नोमान शौक़

मिरी कार-गाह-ए-दिल में अभी काम है ज़ियादा

नोमान शौक़

हुनर की कार-गह से शय अजब निकल आए

नोमान शौक़

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