जिगर बिस्वानी, मोहम्मद इफ़्तिख़ार अ’ली सिद्दीक़ी (1872-1958)अमीर मीनाई के मुम्ताज़ शागिर्दों में थे। शाइ’री वालिद से विरासत में मिली थी जो ख़्वाजा ‘आतिश’ के शागिर्द थे। पेशे से हकीम थे। कई बार तिजारत का शौक़ उठा मगर नाकाम रहे। अ’तिया फ़ैज़ी से, जिनका ता’ल्लुक़ इक़बाल और शिब्ली से भी रहा है, यकतरफ़ा मोहब्बत करते थे, यहाँ तक कि नमाज़ के बा’द तस्बीह फिराते हुए अ’तिया का नाम लेते रहते थे।