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jis ke hote hue hote the zamāne mere

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Jyoti Azad Khatri's Photo'

ज्योती आज़ाद खतरी

ग्वालियर, भारत

ज्योती आज़ाद खतरी

ग़ज़ल 27

नज़्म 2

 

अशआर 22

उस से बातें तो बहुत करनी थीं पर सोच लिया

उस की हर बात पे कहना है कोई बात नहीं

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मैं सामने हूँ अभी गुफ़्तुगू करो मुझ से

कि बाद में मिरी तस्वीर देखते रहना

दस्तूर ही अलग है तिरी बज़्म-ए-नाज़ का

इल्ज़ाम दे के कह दिया इल्ज़ाम ही तो है

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उसी के चेहरे पे आँखें हमारी रह जाएँ

किसी को इतना भी क्या देखना ज़रूरी है

ख़ुदा का शुक्र है इस राब्ते पर

उसे मंज़िल मुझे रस्ता बनाया

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