aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1917 - 1991 | भोपाल, भारत
प्रसिद्ध शायर एवं गीतकार जो फिल्म "पाकीज़ा" में अपने गीत के लिए मशहूर हुए।
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
हम ने आदाब-ए-ग़म का पास किया
दर-ओ-दीवार पे शक्लें सी बनाने आई
तुझे कौन जानता था मिरी दोस्ती से पहले
कौन आएगा यहाँ कोई न आया होगा
आप ने झूटा व'अदा कर के
दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले
कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ़'
इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली
आग का क्या है पल दो पल में लगती है
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