अब तुम भी ज़रा हुस्न-ए-जहाँ-सोज़ को रोको
हम तो दिल-ए-बेताब को समझाए हुए हैं
कैफ़ी चिरय्याकोटी, मोहम्मद मुबीन (1890-1956 ) धर्म-शास्त्र और दर्शन-शास्त्र के प्रमुख विद्वान। उर्दूके अ’लावा अ’रबी, फ़ारसी, हिंदी के माहिर थे। पाली, इ’ब् रानी, फ़्रांसीसी, लैटिन, जर्मन ज़बानें भी सीखीं। कई अख़्बारों, पत्रिकाओं के संपादक रहे। हिन्दोस्तानी अकेडमी, इलाहाबाद में रह कर ‘जवाहर-ए-सुख़न’ के नाम से शाइ’री का चयनित संकलन तय्यार किया। कई चर्चित किताबों के लेखक थे।