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Kaleem Haider Sharar's Photo'

कलीम हैदर शरर

कलीम हैदर शरर

ग़ज़ल 6

अशआर 6

कई लोगों ने फलते फूलते पेड़ों से जाना है

मगर मैं ने तुझे सब्ज़े की उर्यानी से पहचाना

अब इस को ज़िंदगी कहिए कि अहद-ए-बे-हिसी कहिए

घरों में लोग रोते हैं मगर रस्तों पे हँसते हैं

यहाँ पे दश्त समुंदर की बात मत करना

हमारे शहर का हर शख़्स है मकान-ज़दा

अपने दरवाज़े पे बैठा सोचता रहता हूँ मैं

मेरा घर अज्दाद की बारा-दरी का कर्ब है

सिसकियाँ भर के 'शरर' कौन वहाँ रोता था

ख़ेमा-ए-ख़्वाब सर-ए-शाम जहाँ पर टूटा

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