काशिफ़ सय्यद हिन्दुस्तान के उर्दू अदब के उफ़ुक़ पर उभरते हुए एक नुमायाँ शायर हैं, जिन्होंने अपनी मुन्फ़रिद और दिल को छू लेने वाली शायरी से ख़ासी शोहरत हासिल की है।
उनका तअल्लुक़ महाराष्ट्र के शहर भिवंडी से है, जहाँ के हालात और तज्रबात ने उनकी शायरी को एक ख़ास रंग और गहराई अता की है। काशिफ़ निहायत सादा और आजिज़ाना हैं, जिसकी झलक उनके कलाम में वाज़िह तौर पर देखी जा सकती है। उनकी शायरी आम आदमी की ज़िंदगी के मसाइल, जद्द-ओ-जहद, और ख़्वाबों की अक्कासी करती है, जो सामईन के दिलों को छू लेती है।
काशिफ़ सय्यद सन 2014 से मुशायरों में अपनी शायरी पेश कर रहे हैं, और उनके पुरजोश अंदाज़-ए-बयाँ ने उन्हें हिन्दुस्तान के नौजवानों में बेहद मक़बूल बना दिया है। वो न सिर्फ मुशायरों के लिए जाने जाते हैं बल्कि उनके कलाम को उर्दू अदब के शायक़ीन भी बेहद पसंद करते हैं।
काशिफ़ सय्यद एक किताब के मुसन्निफ़ भी हैं, जिसका उन्वान “ज़िंदा रहने की कोशिश” है। इस किताब में उनकी ग़ज़लों और नज़्मों का मजमूआ शामिल है, जो ज़िंदगी की तल्ख़ियों और उम्मीदों को एक ख़ूबसूरत अंदाज़ में बयान करती हैं। उनकी ये किताब उर्दू अदब में एक अहम इज़ाफ़ा है और उनके फ़न की गहराई और ख़ूबसूरती का मुँह बोलता सबूत है।
काशिफ़ सय्यद न सिर्फ़ एक शायर हैं बल्कि एक हस्सास दिल रखने वाले फ़नकार हैं, जो अपनी शायरी के ज़रीए समाज के उन पहलूओं को उजागर करते हैं जिन्हें अक्सर नजरअंदाज़ कर दिया जाता है। उनकी शायरी एक आईना है जो ज़िंदगी के हर पहलू को निहायत ख़ूबसूरती और हक़ीक़त पसंदी से पेश करती है।