काविश प्रतापगढ़ी के दोहे
साजन तो परदेस में आया सावन मास
इक दूजे से दूर हम कौन बुझाए प्यास
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'काविश' ऐसा क्या हुआ भड़क उठा ये आज
सदियों से इस शहर का ठंडा रहा मिज़ाज
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