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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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ख़ालिद अहमद

1944 - 2013 | लाहौर, पाकिस्तान

ग़ज़ल को नया एहसास और तरक़्क़ी-पसंद लहजा देने के लिए मशहूर

ग़ज़ल को नया एहसास और तरक़्क़ी-पसंद लहजा देने के लिए मशहूर

ख़ालिद अहमद

ग़ज़ल 32

नज़्म 1

 

अशआर 5

तर्क-ए-तअल्लुक़ात पे रोया तू मैं

लेकिन ये क्या कि चैन से सोया तू मैं

वो गली हम से छूटती ही नहीं

क्या करें आस टूटती ही नहीं

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क़ुमक़ुमों की तरह क़हक़हे जल बुझे

मेज़ पर चाय की प्यालियाँ रह गईं

क़ुमक़ुमों की तरह क़हक़हे जल बुझे

मेज़ पर चाय की प्यालियाँ रह गईं

फूल से बास जुदा फ़िक्र से एहसास जुदा

फ़र्द से टूट गए फ़र्द क़बीले रहे

पुस्तकें 14

चित्र शायरी 3

 

वीडियो 4

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वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
खुला मुझ पर दर-ए-इम्कान रखना

ख़ालिद अहमद

तर्क-ए-तअल्लुक़ात पे रोया न तू न मैं

ख़ालिद अहमद

तर्क-ए-तअल्लुक़ात पे रोया न तू न मैं

ख़ालिद अहमद

रब्त किस से था किसे किस का शनासा कौन था

ख़ालिद अहमद

"लाहौर" के और शायर

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