ख़ालिद इबादी के शेर
शहर का भी दस्तूर वही जंगल वाला
खोजने वाले ही अक्सर खो जाते हैं
-
टैग : शहर
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
कभी कभी चुप हो जाने की ख़्वाहिश होती है
ऐसे में जब तीर-ए-सितम की बारिश होती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
अभी मरने की जल्दी है 'इबादी'
अगर ज़िंदा रहे तो फिर मिलेंगे
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ज़रा सा दर्द और इतनी दवाएँ
पसंद आई नहीं चारागरी तक
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
हमारे हाथ काटे जा रहे थे
तुम्हारे हाथ से किरपान ले कर
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
मैं ज़ख़्म ज़ख़्म नहीं हूँ मगर मसीहाई
मिरे बदन में मिरी जान क्यूँ नहीं रखती
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ज़रा ठहरो उसे आने दो उस की बात भी सुन लें
हमें जो इल्म है गो दिल को दहलाने ही वाला है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड
ये कैसा तनाज़ा है कि फ़ैसल नहीं होता
हक़ तेरा ज़ियादा है कि हुक्काम का तेरे
-
शेयर कीजिए
- सुझाव
- प्रतिक्रिया
- डाउनलोड