ख़ालिद हसन क़ादिरी
ग़ज़ल 8
अशआर 14
घुटन तो दिल की रही क़स्र-ए-मरमरीं में भी
न रौशनी से हुआ कुछ न कुछ हवा से हुआ
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere