ख़ान आरज़ू सिराजुद्दीन अली
ग़ज़ल 2
अशआर 2
जान तुझ पर कुछ ए'तिमाद नहीं
ज़िंदगानी का क्या भरोसा है
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अबस दिल बे-कसी पे अपनी अपनी हर वक़्त रोता है
न कर ग़म ऐ दिवाने इश्क़ में ऐसा ही होता है
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