एक एक कर के लोग निकल आए धूप में
जलने लगे थे जैसे सभी घर की छाँव में
ख़ातिर ग़ज़नवी का असल नाम मुहम्मद इब्राहीम बेग था .वह 25 नवंम्बर 1925 को पेशावर में पैदा हुए. पेशावर यूनिवर्सिटी से उर्दू में एम.ए. किया और उसी विभाग में शिक्षा-दीक्षा से सम्बद्ध हो गये. उर्दू के अलावा कई और भाषाए सीखीं,विशेषतः चीनी भाषा में दक्षता प्राप्त की. ‘संगे मील’ और ‘एहसास’ के साथ कई पत्रिकाओं और अख़बारों के एडिटर भी रहे. एक अर्से तक रेडियो पाकिस्तान पेशावर से भी सम्बद्ध रहे.
ख़ातिर ग़ज़नवी के शेरी मज्मुओं में ‘रूपनगर’ ‘ख़्वाब दर ख़्वाब’ ‘शाम की छतरी’ और ‘कोंजान’ और गद्य की पुस्तकों में ‘ज़िन्दगी के लिए’, ‘फूल और पत्थर’, ‘चट्टानें और रुमान’, ‘रज़्मनामा’, ‘सरहद के रुमान’ ‘दस्तारनामा’ ‘पठान और जज़्बाते लतीफ़’ ‘ख़ूशहालनामा’ ‘चीननामा’ के नाम शामिल हैं.
हुकूमते पाकिस्तान ने उनके समग्र साहित्यिक सेवाओं को स्वीकार करते हुए उन्हें सदारती तम्ग़ा बराए हुस्ने कारकर्दगी से नवाज़ा. 7 जुलाई 2008 को पेशावर में देहांत हुआ.